Saturday, 29 June 2013

Story 1 रागिनी Part 1


मेरा नाम रागिनी है, उम्र २१, कद ५’२", ३४-२६-३५ की फ़िगर, रंग साफ़, लम्बे बाल। अभी मैं इंजीनियरिंग सेकेण्ड इयर की स्टुडेंट हूँ। हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों ने मुझे एक ब्लू-फ़िल्म "सलमा" में देख चुके हैं। इतनी दिमाग वाली लड़की की ब्लू-फ़िल्म, आप सब चौंक गए होंगे। पर यह सच है। आखिर यह सब हुआ कैसे, आज यही मैं आप सब को बतानेवाली हूँ। पहले थोड़ा मेरी पारिवारिक स्थिति के बारे में जानिए तब ताज्जुब कम होगा। मेरे पापा स्टुडियो चलाते हैं, न्युड फ़ोटो भी खींचते हैं और कभी कभी आर्डर हो तो ब्लू-फ़िल्म भी बनाते हैं। उपर हम लोग का घर है, और नीचे वाले हिस्से में स्टुडियो है। मेरे भैया, बबलू भी पापा के साथ काम करते हैं। मेरे घर में इनके अलावा एक १८ साल की छोटी बहन है प्रिया। मम्मी का देहान्त पाँच साल पहले हो गया, पैसे की कमी के कारण उनका इलाज ठीक नहीं हुआ और इसके बाद हीं कुछ जल्दी में पैसे बनाने के लिए पापा ने ब्लू-फ़िल्म बनानी शुरु की। ये फ़िल्म वो अमीर लोगों के लिए बनाते हैं, बाजार के लिए बहुत कम, न के बराबर। मम्मी की डेथ के बाद पापा ने हम दोनों बहनों को होस्टल भेज दिया। तब मैंने दसवीं पास की थी। घर पर बेटी न हो तब ब्लू-फ़िल्म बनाने में आसानी होगी, शायद यही सोच कर।

साल में दो बार हम बहनें घर आती और हमें अपने घर में पैसे की आवक का अंदाजा होता था। दो साल बाद मैंने बारहवीं और प्रिया ने दसवीं का इम्तिहान दिया और करीब ३ महिने के लिए घर पर रहने आ गई। हम दोनों बहन आपस में बहुत करीब थीं और अपना सब कुछ आपस में शेयर करतीं। तब मेरी उम्र १८ हो गई थी और प्रिया की १५ के पार। हम अब जवानी के खेल को समझने लगी थी और प्रिया के साथ नंगी लिपट कर एक दुसरे के बदन से खेलतीं, ऊँगली से ही मसलती, चुमती चाटती। जवानी का खेल खेलने का मन होने लगा था। होस्टल से आए हमें २-३ दिन ही बीता होगा, पापा के एक क्लाइंट एक लड़की ले कर घर आए कि वो उसको चोदते हुए फ़िल्म बनवाना चाहते हैं। घर पर हम बहनें थी सो पापा ने मना किया तो वो जिद करने लगे। मेरे भैया भी वहीं थे। भीतर हम बहनें सब सुन रहीं थी। वो अब धमकी देने लगे कि वो पुलिस में बता देंगे कि मेरे पापा और भैया ब्लू-फ़िल्म बनाते हैं। अब दोनों बाप-बेटों ने आपस में बात की और फ़िर पापा अंदर आए और बोले-"देखो रागिनी, एक परेशानी में हूँ। मै तो फ़ोटोग्राफ़र हूँ। मेरे एक क्लाइंट आए हैं एक लड़की के साथ। वो चाहते हैं कि मैं उन दोनों की फ़िल्म बनाऊँ, जब वो दोनों आपस में प्यार कर रहे हों। मैं पहले भी ऐसा कर चुका हूँ और तुमको शायद पता हो इसमें पुलिस का खतरा है, पर पैसा बहुत मिलता है। इसलिए अगर तुमको एतराज न हो तो मैं उन दोनों को तुम्हारे रुम में ले जाकर फ़िल्म बना दूँ। एक घंटे भी नहीं लगेंगे।" मेरे तो जैसे लौटरी निकल गयी, तुरंत बोली-"नहीं पापा, परेशानी कैसी, ये तो काम है।" पापा खुश हो गए।

थोड़ी देर में हीं अपना कैमरा वगैरह रुम में सेट कर लिया। भैया भी लाईट वगैरह सेट करने लगे। तभी प्रिया बोली-"दीदी क्या हम देख सकेंगे ,कैसे फ़िल्म बनती है ये वाली? प्लीज कोई उपाय करो ना।" मेरा भी मन था। सोचा जब पापा आराम से सब बात कह गए और हमारे रुम को युज करने में नहीं हिचके तो मुझे भी बात करनी चाहिए। मैं पापा के पास गई और बोली-"पापा, मैं और प्रिया भी यह सब देखना चाहते हैं, कैसे ये फ़िल्म बनती है।" पापा हमें समझाने लगे पर अब हम दोनों बहने जिद करने लगी। फ़िर भैया ने कहा कि ठीक है एक-एक लाईट हम दोनों पकड़ के खड़ी हो जाएँ। मैं और प्रिया खुश हो गईं। पर पापा ने साफ़ मना कर दिया, फ़िर कुछ सोच कर बोले-"ठीक है, तुम दोनों पीछे की स्टोर रुम में जाओ, ऊधर अंधेरा होगा, ऊधर की खिड़की से देखना। हम बहनें तुरंत भागीं।

भैया उन दोनों को बुलाने गए। लड़की २५-२६ साल की थी, पहाड़ी लुक था, गोरी चिट्टी। एक दम पतली। चुचियाँ तो जैसे थी हीं नहीं। जो मर्द उसे लाया था वो ४२-४५ के करीब का था। लग रहा था कि कोई बिजनेसमैन है। बत्ती-कैमरा औन होने के बाद उस मर्द ने लड़की को अपने से चिपका चुम्मा लेना शुरु किया और कपड़े खोलने लगा। लड़की बिना मतलब ही हँस देती, और वो मर्द तो उसकी हँसी पर जैसे मरा जा रहा था। दोनों जल्द ही नंगे हो गए। लड़की के बदन पे कोई गोलाई नहीं थी, हाँ गोरी बहुत थी, और नाक नक्श सुंदर था। चूत एक दम चिकनी थी। उस मर्द के लन्ड को लड़की ने थोड़ी देर चुसा और वो उठ गया। उसके बाद उस मर्द ने लड़की को बेड पर लिटाया और उस पर चढ़ गया। हम बहनें सब देख रही थी। हमें पता था कि मर्द कौन सी छेद में घुसाते हैं, पर आज सब कुछ सामने देख चूत गीली हो गई। १०-१२ मिनट बाद मर्द शांत हो गया, और लन्ड बाहर निकाल लिया। लड़की के चूत से सफ़ेद पानी बहने लगा था और पापा शायद उसके चूत का क्लोज शौट ले रहे थे। आधे घन्टे में सब हो गया और वो सब बाहर निकल गए, तो हम बहनें भी स्टोर रुम से निकल आई।

थोड़ी देर में पापा आ गए। उनको ३००० रु मिला था, इस आधा घण्टा के काम का। सच में इस काम में पैसा अच्छा था। हम सब में इसके बाद इस बात की कोई चर्चा नहीं हुई। पर इसके बाद से हम दोनों बहन और ज्यादा समझदार हो गईं, इसमें कोई शक नहीं था। फिर इस बात के करीब एक सप्ताह बाद....। पापा के एक पुराने क्लाईंट ने उनसे संपर्क किया और एक अजीब औफ़र दिया। वो और उनके तीन दोस्त पुरे दिन के लिए एक लड़की के साथ फ़िल्म बनवाना चाहते थे अगले सप्ताह। आठ घन्टे पुरे वीडियो पर। लड़की के साथ वो सब जब चाहें सेक्स करें या ना करे, उनको पुरे आठ घन्टे की रीकार्डिंग चाहिए थी। चारों लोग अलग अलग लड़की को ६००० रु० देने को तैयार थे और पापा को दिन भर का २०००० रु०। वो बोले की अगर पापा लड़की को ५००० में पटा लें तो और रुपया अलग से कमा लेंगे। जब हम दोनों बहनें अपने रुम में ताश खेल रहीं थी, पापा डिनर टेबुल पर यही सब भैया से बात कर रहे थे कि भैया का अनोखा प्रस्ताव आया, "पापा, क्यों नहीं रागिनी को कहा जाए इसके लिए। अगर वो तैयार होती है तो हम लोग लगभग ४५००० रु० एक दिन में कमा लेंगे।" पर पापा बोले-"नहीं बेटा, रागिनी को बुरा लगेगा।" ऊनकी बातें सुन कर हम सन्न रह गईं, सोच रहीं थी कि देखें क्या फ़ैसला होता है। प्रिया तो चट से बोली-"दीदी, तुम अब ना मत करना, अगर वो लोग तुमको बोलें तो। अच्छा मौका है, एक बार छुट मिल गई तो पौ-बारह।" मैं भी कुछ ऐसा हीं सोच रही थी, पर बात तो बनती तब जब वो मुझसे पुछते। भैया ने फ़िर पापा को समझाया-"एक बार पुछते है रागिनी से। उस दिन तो ऐसे भी वो देखीं ही कि क्या सब होता है, ऐसे फ़िल्म की रीकार्डिंग में।" मैं खुश हुई कि भैया मेरे मन का करवा रहें हैं।

पापा ने तब कहा-"पर रागिनी अभी कुँवारी है, चार मर्द झेल नहीं पाएगी"। मैं मन में बोली-"चालीस झेल लुँगी, पहले आप चुदाने को तो बोलो"। भैया ने हार नहीं मानी, बोले-"पापा रागिनी जवान हो गई है, यहाँ लोगों ने १४-१५ साल की लड़कियों को चोद कर रिकार्डिंग करवाई, और आपको लगता है कि रागिनी मर्द को नहीं झेल पायेगी? अभी एक सप्ताह है ना, इस बीच मैं उसको सब बता कर पक्का कर दुँगा। बहुत पैसा मिल रहा है, क्यों किसी रन्डी से हम बाँटें जब हम थोड़ा हिम्मत करें तो सब अपने पास आ सकता है"। पापा अब चुप हो गए तो भैया बोले-"रागिनी, जरा यहाँ आओ।" मैं खुशी मन से चल दी। प्रिया भी साथ जाने लगी तो मैंने रोक दिया। भैया ने हीं सारी बात बताई। मैं चुपचाप सुन रही थी। बात खत्म होने पर पापा ने कहा-"पर रागिनी बेटा, तुम्हें मन न हो तो मना कर दो। कोई जबर्दस्ती नहीं है।" मुझे लगा कि अब खुल कर बात कर लेनी चाहिए सो बोली-"पापा मन तो मेरा भी करता है ये सब करने का, पर पापा मुझे कुछ आता नहीं अभी। क्या मुझसे हो जायेगा सब?" भैया तुरंत बोले-"कोई परेशानी नहीं है रागिनी, अभी समय है। दो दिन मेरे साथ सो लो, फ़िर मैं सब सिखा दुँगा।" उनको ये सब कहते कोई हिचक नहीं थी। पापा भी चुप थे। मैंने भोलेपन की ऐक्टिंग करते हुए कहा-"ठीक है भैया, अगर आप सिखा दें तो कोई प्रोबलेम हीं नहीं है।" भैया खुश हो गए, और फ़िर खाना खत्म करके बोले कि आज हीं मेरे रुम में आ जाओ, जितनी जल्दी शुरु करोगी, उतनी ही आसानी होगी। इसके बाद मैं अपने रुम में आ गई, और दोनों बाप-बेटा कुछ बाते करने लगे। प्रिया मुझे गुदगुदी लगा रही थी, आज मेरी लौटरी लग गई है जो मुझे उसकी ऊँगली की जगह असल चीज मिलेगा। मैं भी बहुत एक्साईटेड थी।

आधे घन्टे बाद भैया ने पुकारा-"रागिनी, आ जाओ।" प्रिया ने गले लगाया-"गुड लक दीदी", और मैं चल दी। बाहर की रुम में पापा टीवी देख रहे थे, भैया अपने रुम में थे। पापा ने मुझे भैया के रुम की तरफ़ जाते देखा तो मुस्कुरा दिए-"फ़िक्र मत करो, बबलू बहुत अच्छा से करता है, तुम्हें मजा हीं आएगा"। जब बाप और बड़ा भाई मेरी चुदाई को ले कर परेशान नहीं थे तो मुझे कौन सी परेशानी थी। अब तो दिमाग में एक ही बात थी कि खुब मस्ती से चुदा कर अपनी पहली चुदाई का मजा लेना है। भैया के रुम में पहुँची तो देखा कि वो बिल्कुल नंगे बिस्तर पर बैठे हैं। मुझे आते देखा तो खड़े हुए। पहली बार आज मैं एक २३ साल के जवान सुन्दर मर्द को देख रही थी। ५’११" लम्बे बब्लू भैया का बदन संतुलित था। ४०" का सीना और ३४’ कमर। सीने पर हल्के हल्के बाल जो जैसे जैसे नीचे जा रहे थे ज्यादा घने और पतले होते जा रहे थे। नाभी में जैसे घुसे जा रहे हों। फ़िर नाभी के नीचे से एक पतली रेखा के साथ निकल रहे थे और नीचे जाते हुए फ़ैलते जा रहे थे, और वो कब झांट बन गए पता भी नहीं चला। ३" से कम नहीं थी उनकी झाँटें। फ़िर उन शानदार झाँटों से घिरा हुआ थोड़ा ढ़ीला सा हिल रहा था उनका मस्ताना लौड़ा। भैया ने जब देखा कि मैं उनके नंगे बदन का मुआयना कर रही हूँ, तो अपने लौड़े को अपने हाथ से हल्के से हिला कर कहा-"आओ रागिनी, देखो इसे। यही दुनिया की सभी जवान लड़की का सबसे प्यारा खिलौना होता है। यही है जो उन पर जब चुदास चढ़ती है तो उन्की चुदाई कर के उनके बेचैनी को कम करता है। कभी छुई हो किसी मर्द का लौड़ा?" और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लौंड़े पर रख दिया। ६" का उनका लन्ड खड़ा होने लगा, वो बोले-चुसो इसको लौलिपौप की तरह।" मैं हिचकी तो भैया फ़िर बोले-"चुसना तो पड़ेगा। बिना लन्ड चुसाए कोई नहीं छोड़ता किसी भी रन्डी को और तुम तो चार मर्द के साथ अकेली एक रन्डी की तरह रहोगी वहाँ। आ जाओ।" मैंने भी अब तय किया कि जब यही करना है तो एक छिनार का हीं रुप धरा जाए। लन्ड अब ७.५" का हो गया था।

मैं लन्ड मुँह में ले के ऐसा झक्कास चुसी की भैया का जल्द हीं छुट गया मेरे मुँह के भीतर हीं। वो मुझे खड़ा किए और फ़िर मेरा कुर्ता खोला और बाद में मेरी सलवार। मैं सफ़ेद ब्रा और नीली पैन्टी में सामने खड़ी थी कि भैया ने मेरी पैन्टी ही पहले नीची की। और मेरे झाँटों भरी चूत पे हाथ फ़िराया। मेरी तारीफ़ करते हुए बोले-"बहुत सुन्दर चूत है रागिनी तुम्हारी। मेरी तो किस्मत अच्छी थी कि ये अनछुई चूत मुझे मिली। कभी ऊँगली-वुँगली डाली हो भीतर?" वो मेरी चूत के होठ सहला रहे थे जब मैंने कहा कि हाँ ऊँगली तो घुसाती रहती हूँ अक्सर। वो बोले-"गुड, तब तो मजे का पता होगा। आओ फ़िर आज तुम्को असली मजा भी बता दूँ कि जब लड़की की चूत लन्ड से चोदी जाती है तब कैसा मजा आता है। आ जा मेरी जान बिस्तर पर चल और लेट।" उसके बाद तो भैया खुब भर पेट मेरी चूत को खाए, चुसा, चाटा और कई बार हल्के से दाँत काटा, चबाया यानि की खुब प्यार से चूत से खेले और उसको खाए। मैं चुदास से भर कर कराह रही थी, पर वो मेरा बहिन्चोद भाई खाता जाता और मुझे तड़पाता जाता था। मेरे मुँह से निकल रही आवाज उनको और मस्त कर रही थी। उनके थुक से मेरी झाँट अब चिपकने लगी तब वो हटे और मेरे जाँघ खोल कर बीच में बैठ गए और फ़िर गप से अपना ७.५" लन्ड चूत से भिरा कर चापना शुरु कर दिया। चुदास से भरी होने से मुझे पता भी नहीं चला कब मेरी कोरी चूत चुद गई। वो तो जब उन्होंने एलान किया-"अब रागिनी हो गया किला फ़तह, अब तु रन्डी बन गई बहना।" तब मुझे पता चला कि मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही, अब वो चोदी हुई चूत है। मैंने उठ कर देखना चाहा पर दिखा भैया का लन्ड जो मेरे चूत की बैंड बजा रहा था, और मैं मस्ती सह न सकी तकिये से टिका, सिर को इधर-ऊधर घुमा घुमा कर चुदवा रही थी, कराह रही थी, सिसिया रही थी और भैया नौन-स्टौप चोदे चले जा रहे थे। १० मिनट बाद मेरे चूत के भीतर ही अपना माल निकाल दिया। इसके बाद जब मै कपड़े पहनने लगी, तो भैया ने मना कर दिया और कहा कि मैं नंगे ही उनके साथ सो जाऊँ, वो सुबह एक बार फ़िर मुझे चोदेंगे। मुझे नींद आने में समय लगा, करीब १.३० पर मुझे नींद आई।

सुबह मेरे से पहले भैया उठे और बाथरुम से आने के बाद मुझे जगा कर टट्टी कर के आने को कहा। मैंने देखा की वो हल्के हाथ से अपने लन्ड को मसल और हिला रहे थे। मेरे आते ही मुझे पकड़ लिया और बिस्तर पर पटक कर मेरे उपर चढ़ गए। उनका लन्ड पुरा ७.५" का हो गया था। वो बिना मुझे समय दिए, अपने लन्ड पर थुक लगा कर मेरे चूत में घुसा दिए। एक बार फ़िर मेरी चुदाई होने लगी। कुछ धक्के के बाद जब चूत गीली हो गई तो मुझे मजा आने लगा। मै सिस्की मारने लगी और वो मेरे चूत का मजा लुटने लगे। १२-१४ मिनट बाद वो मेरे पेट पर अपना माल गिरा दिए। मेरी जाँघ खुले खुले दर्द करने लगी थी। मैंने पैरों को सीधा किया और कपड़े पहनने लगी। फ़िर हम दोनों कमरे के बाहर आए। ७ बज चुका था। पापा और प्रिया चाय पी रहे थे। प्रिया ने हम लोग को भी चाय दी। पापा मुझे देखते हुए पुछे-"कैसा रहा रात को?" मैं शर्म से चुप थी। भैया बोले-"रात को मस्त और सुबह को पस्त।" सब हँसने लगे, मैं झेंप रही थी। पापा बोले-"ठीक है फ़िर, अभी जितने दिन बाकी है, तब तक रोज़ चुदवाओ, दो-चार बार ताकि तुम्हारी चूत अच्छे से खुल जाए।" मुझे तो पहले से लग रहा था कि अब मुझे रोज चुदाना होगा घर पर। मैं भी मस्ती में खो रही थी, ये सब सुन कर। इसके बाद तो तीन दिन में भैया ने मुझे सब कुछ सिखा दिया और मैं भी मस्ती ले-ले कर चुदाने लगी। भैया चोदते समय खुब गंदी बातें करते और मैं भी उनके साथ गंदी बातें करने में अब नहीं हिचकती थी। मुझे अब चुदाने में खुब मजा आता, जी करता हमेशा लंड मेरे चूत में भीतर-बाहर होता रहे।

चार दिन बाद जब सुबह हम सब चाय पी रहे थे, तब पापा ने हद कर दी, कहा-"रागिनी, अब आज से तुम घर पर बिल्कुल नंगी ही रहो। अब हम लोग से शर्म कैसी। इससे तुम्हें वहाँ दिन भर नंगा रहने में कोई हिचक नहीं होगी और बबलू भी तुम्हें दो-एक बार हम लोग के सामने चोद देगा जिससे तुमको किसी के सामने चुदाने में शर्म नहीं लगेगी।" भैया यह सुन तुरंत खुशी से बोल पड़े-"हाँ, रागिनी, अब खोलो कपड़ा, अब आज एक बार इसी टेबुल पर सब के सामने चुदा लो। पापा को भी पता चले कि तुम अब एक्स्पर्ट हो गयी हो।" मेरे कुछ समझने से पहले ही वो उठे और मेरे कुर्ती की जिप खोलने लगे। प्रिया भी तुरंत जल्दी-जल्दी कप-प्लेट समेटने और टेबुल पर जगह बनाने लगी। मैं चुप-चाप सब का साथ दे रही थी। भैया मुझे खड़ा करके मेरे सलवार को खोल दिये और फ़िर मुझे ब्रा-पैन्टी में ही उठा कर टेबुल पर लिटा दिया। मेरी पैन्टी खोल कर मेरे झाँटों में ऊँगली घुमाने लगे। मेरे चूत में ऊँगली घुसा कर जब उसे भीतर ही चलाने लगे तो मैं मस्ती से झुमने लगी। मेरे मुँह से आआह्ह्ह ओह ओह निकलने लगा। पापा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरी ब्रा खोल मेरे चुचियों को मसलने लगे। भैया मेरे चूत से खेल रहे थे और पापा मेरे चुची को कभी मसलते कभी चुसते। मुझे पहली बार एक साथ दो मर्द के हाथ का मजा मिल रहा था, और मैं सारे रिश्ते भूल सिसकारी भर रही थी। प्रिया का, यह सब देख क्या हाल हो रहा था, आप समझ सकते हैं। पाँच मिनट के बाद भैया ने अपना बरमुडा खोला और अपने लन्ड को सहलाए। प्रिया उनके काला लम्बा लन्ड पर नजर गड़ाए थी। भैया ने प्यार से अपने लन्ड की चमड़ी को ठीक से पीछे किया, और थुक लगा कर मेरे चूत पे भिरा दिए। मेरी आँख बंद हो गयी और भैया ने मेरे पापा और प्रिया के सामने ही मेरे चूत के भीतर अपना ७.५" लन्ड पेल दिया और मेरी चुदाई शुरु कर दी। 

उनके मुँह से आह निकल रही थी, और मैं भी उनका साथ देने लगी, आह आह करके भी और उनके धक्के पर अपने बदन से प्रतिक्रिया दे करके भी। २५-३० जोरदार धक्के के बाद वो मुझे पलट दिए और फ़िर मेरे पीछे आ कर मेरी चुदाई करने लगे। पापा बोल उठे-"वाह, पीछे से जब लड़की चुदती है, तब उसकी चूत सबसे बढ़िया दिखती है, इधर आ कर देखो प्रिया।" वो प्रिया का हाथ पकड़ कर मेरे पीछे चले गए और फ़िर जमीन पर बैठ कर थोड़ा नीचे से मेरी चुदती हुई चूत का नजारा करने लगे। ब्लु-फ़िल्म को बना बना कर उनको समझ आ गया था कि कब किस ऐंगील से चुदती हुई चूत सुन्दर दिखेगी। मैं तो अब सिर्फ़ मजा ले रही थी। १० मिनट चोदने के बाद भैया ने अपना माल मेरे चुतड़ों पर निकाल दिया और थक पर पास की कुर्सी पर बैठ गए। मैं भी टेबुल पर पेट के बल लेट गई, और सुस्ताने लगी।